बीपी और शुगर में गुणकारी है पोषण से भरपूर ये अनाज
औषधीय गुणों से भरपूर रागी यानी कोदरा अब लुप्त होने की कगार पर है। शरीर में कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन आदि की कमी को पूरा करने के अलावा रागी कई बीमारियों से बचाता है। लेकिन अब इसकी खेती सीमित हो गई है। इसका वैज्ञानिक नाम पसपल्म स्करोबिकुलेटम है। हिमाचल प्रदेश के ठंडे व ऊंचाई वाले क्षेत्रों जैसे शिमला, किन्नौर, चंबा, मंडी, कांगड़ा आदि में यह उगाया जाता है।
पानी की ज्यादा जरूरत नहीं
अन्य फसलों के मुकाबले इसे पानी की ज्यादा जरूरत नहीं होती है। कुल्लू के लगवैली, बंजार, फोजल के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लोग अपने लिए ही कोदरा उगाते हैं। इसका प्रयोग देव कारजों (समारोह) के लिए भी किया जाता है। कोदरे का आटा तैयार करने की विधि में अधिक समय लगता है। ग्रामीण व पहाड़ी क्षेत्रों में लोग सप्ताह में एक बार रागी के आटे की रोटी जरूर खाते हैं।
बेहद गुणकारी है कोदरे का आटा
- कोदरे के 100 ग्राम आटे में कैल्शियम की मात्रा 344 मिलीग्राम होती है। इससे शरीर में हड्डियों को मजबूती मिलती है।
- इसमें फैट की मात्रा 1.3 मिलीग्राम होती है। यह किडनी के आसपास जरूरी वसा का बचाव करता है। धीरे-धीरे पचने के कारण शुगर के मरीजों के लिए भी बेहद कारगर है। इससे शुगर नियंत्रित रहता है।
- इसमें प्रोटीन 8.8 मिलीग्राम होता है। इस कारण अन्य आटे के मुकाबले ज्यादा बेहतर है।
- इसमें आयरन 3.90 मिलीग्राम तक पाया जाता है। इससे शरीर में खून साफ रहता है और एनीमिया आदि रोग नहीं होते हैं।
- ब्लडप्रेशर के मरीज भी इसका सेवन कर राहत पा सकते हैं।
इसे भी पढ़ें: अनगिनत फायदे हैं काले चने के
कृषि विज्ञान केंद्र बजौरा (कुल्लू) के शोधार्थी डॉ. चंद्रकांता वत्स ने कहा कि रागी (कोदरे) के आटे में मौजूद पोषक तत्व व लाभ अगर कोई व्यक्ति रोजाना 10 से 20 ग्राम इस आटे का प्रयोग खाने में करता है तो यह उसे रोगमुक्त करने के लिए काफी है। यह पचने में समय लगाता है तो इससे पोषक तत्व पूरी तरह से शरीर को मिलते हैं।
डॉ. केसी शर्मा, मुख्य प्रभारी, बजौरा कृषि विज्ञान केंद्र के अनुसार कोदरे की खेती के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है ताकि उन्हें इसका महत्व पता चल सके।
इतने गुणकारी अनाज का इस तरह धीरे-धीरे विलुप्त होते जाना पूरे समाज के लिए नुकसानदेह है। सिर्फ हिमाचल ही नहीं बल्कि देश की सरकार को चाहिए कि किसानों को न सिर्फ इसकी ज्यादा खेती के लिए प्रेरित करे बल्कि यह भी सुनिश्चित करे कि किसानों को उनकी फसल का वाजिब मूल्य मिले तभी वो फिर से इस खेती की ओर लौटने के बारे में सोचेंगे।
(Jagran.com से साभार)
बीपी और शुगर में गुणकारी है पोषण से भरपूर ये अनाज
रागी, कोदरा, गुणकारी, बीपी, शुगर, कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन
औषधीय गुणों से भरपूर रागी यानी कोदरा अब लुप्त होने की कगार पर है। शरीर में कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन आदि की कमी को पूरा करने के अलावा रागी कई बीमारियों से बचाता है। लेकिन अब इसकी खेती सीमित हो गई है। इसका वैज्ञानिक नाम पसपल्म स्करोबिकुलेटम है। हिमाचल प्रदेश के ठंडे व ऊंचाई वाले क्षेत्रों जैसे शिमला, किन्नौर, चंबा, मंडी, कांगड़ा आदि में यह उगाया जाता है।
पानी की ज्यादा जरूरत नहीं
अन्य फसलों के मुकाबले इसे पानी की ज्यादा जरूरत नहीं होती है। कुल्लू के लगवैली, बंजार, फोजल के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लोग अपने लिए ही कोदरा उगाते हैं। इसका प्रयोग देव कारजों (समारोह) के लिए भी किया जाता है। कोदरे का आटा तैयार करने की विधि में अधिक समय लगता है। ग्रामीण व पहाड़ी क्षेत्रों में लोग सप्ताह में एक बार रागी के आटे की रोटी जरूर खाते हैं।
बेहद गुणकारी है कोदरे का आटा
- कोदरे के 100 ग्राम आटे में कैल्शियम की मात्रा 344 मिलीग्राम होती है। इससे शरीर में हड्डियों को मजबूती मिलती है।
- इसमें फैट की मात्रा 1.3 मिलीग्राम होती है। यह किडनी के आसपास जरूरी वसा का बचाव करता है। धीरे-धीरे पचने के कारण शुगर के मरीजों के लिए भी बेहद कारगर है। इससे शुगर नियंत्रित रहता है।
- इसमें प्रोटीन 8.8 मिलीग्राम होता है। इस कारण अन्य आटे के मुकाबले ज्यादा बेहतर है।
- इसमें आयरन 3.90 मिलीग्राम तक पाया जाता है। इससे शरीर में खून साफ रहता है और एनीमिया आदि रोग नहीं होते हैं।
- ब्लडप्रेशर के मरीज भी इसका सेवन कर राहत पा सकते हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र बजौरा (कुल्लू) के शोधार्थी डॉ. चंद्रकांता वत्स ने कहा कि रागी (कोदरे) के आटे में मौजूद पोषक तत्व व लाभ अगर कोई व्यक्ति रोजाना 10 से 20 ग्राम इस आटे का प्रयोग खाने में करता है तो यह उसे रोगमुक्त करने के लिए काफी है। यह पचने में समय लगाता है तो इससे पोषक तत्व पूरी तरह से शरीर को मिलते हैं।
इसे भी पढ़ें: मधुमेह रोगियों के लिए मीठा खाने के तीन मजेदार विकल्प
डॉ. केसी शर्मा, मुख्य प्रभारी, बजौरा कृषि विज्ञान केंद्र के अनुसार कोदरे की खेती के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है ताकि उन्हें इसका महत्व पता चल सके।
इतने गुणकारी अनाज का इस तरह धीरे-धीरे विलुप्त होते जाना पूरे समाज के लिए नुकसानदेह है। सिर्फ हिमाचल ही नहीं बल्कि देश की सरकार को चाहिए कि किसानों को न सिर्फ इसकी ज्यादा खेती के लिए प्रेरित करे बल्कि यह भी सुनिश्चित करे कि किसानों को उनकी फसल का वाजिब मूल्य मिले तभी वो फिर से इस खेती की ओर लौटने के बारे में सोचेंगे।
(Jagran.com से साभार)
खान-पान से और
नमक की ‘चमक’ से चकाचौंध न हों
सुबह का नाश्ता छोड़ा तो ये होगी परेशानी
Comments (0)
Facebook Comments (0)